रानी की वाव एक बहुत ही पुरानी हैतिहासिक जगह है। रानी की वाव मतलब रानी की बावड़ी। ये भारत देश के हिस्टोरिकल जगहों में से एक है। इस आर्टिकल में आप जानेगे रानी की वाव से जुडी हिस्ट्री वो भी हिंदी भाषा में।
रानी की वाव का इतियास
गुजरात के पाटण जिले में स्थित रानी की वाव यानी की रानी की बावड़ी। इसका निर्माण रानी उदयमति ने 11वीं शताब्दी में अपने पति भीमदेव पहले की याद में करवाया था।
इसके अलावा प्रजाजनों को पानी की दिकत ना हो। इसीलिए रानी उदयमति ने ऐसी वाव का निर्माण करवाया जो उनके पति को समर्पित हो और प्रजाजनों की दिकत को दूर किआ जा सके।
तब पाटण शहर को अणहिलवाल पाटण के नाम से जाना जाता था और तब पाटण शहर गुजरात की राजधानी हुआ करता था, समय बीतते बीतते इसका नाम केवल पाटण रह गया।
रानी जी की बावड़ी का निर्माण कब और किसने करवाया?
सोलंकी वंस के राजा भीमदेव पहले की पत्नी रानी उदयमतीने राज्य में पानी की किलत को दूर करने के लिए और अपने पति की याद में इस स्मारक का निर्माण करवाया था।
ऐसा बताया जाता है की रानी की वाव को बनाने में जो सैंड पथ्थरों का इस्तेमाल हुआ है। वो 150 से 200 किलोमीटर दूर धांगध्रा शहर से नदी मार्ग से लाया गया था।
इसके अलावा इस बावड़ी को साबरमती नदी के किनारे बनाया गया था और इसको बनने लगभग 40 से 41 साल लगे थे। इसकी कारीगरी को देखकर ऐसा ही लगता है।
रानी की वाव 64 मीटर लम्बी, 20 मीटर चौड़ी और 27 मीटर गहरी है और इस बावड़ी को उल्टे मदिंर की तरह बनाया गया है। इसके आलावा ये 7 मंजिला है।
इस बावड़ी में कई देवी देवताओ की मुर्तिया बानी हुई है।
रानी की वाव का मतलब क्या है?
रानी की वाव मतलब एक ऐसी बावड़ी जो सीढ़ियों वाली हो और जहा पानी की सुविधा हो। सिंपल भाषा में कहे तो सीढ़ियों वाला कुंवा। पुराने ज़माने में राजा ऐसी बावड़ी का निर्माण कर वाते थे।
लेकिन रानी की वाव एक ऐसी बावड़ी है जो की एक रानी ने अपने पति के लिए बनवायी थी।
रानी की वाव स्मारक कहाँ स्थित है?
रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण जिले के पाटण शहर में स्थित है और रानी की वाव से लगभग 400 मीटर की दुरी एक प्राचीन सहस्त्रलिंग तालाब भी है।
हमारा ये पोस्ट “Rani Ki Vav (Queen’s Stepwell) History In Hindi” आपको जरूर पसंद आया होगा।