धोलावीरा एक गाँव है, लेकिन उससे एक किलोमीटर की दुरी पर 4500 साल पुराना प्राचीन महानगर मिला है और उसको भी धोलावीरा के नाम से जाना जाता है। मेरी बात करू तो में भी हाल ही में धोलावीरा गया था। उस प्राचीन जगह को देखने और उस समय के इस महानगर को देख कर मैं भी सोचमें पड़ गया की उस समय के लोग काफी समझदार थे। ऐसा मैं इसीलिए कह रहा हूँ की आज से 4500 साल पहले के लोगों में पानी को लेकर काफी समज थी। उन्होंने पानी को बचाने के लिए काफी बड़े जलाशय बनाये थे। जो आज भी देखे जा सकते है।
धोलावीरा का ये प्राचीन महानगर कई विभागों में बटा हुआ था। जैसे की मध्य नगर, अवम नगर और भी बहुत से विभाग थे। जिसमे से एक जगह मनका बनाने की कार्यशाला भी थी। जिसे देख कर हमें उस समय के लोगों की कारीगरी पर गर्व होता है। धोलावीरा में सिन्धुघाटी सभ्यता के अवशेष मिले है। यहाँ पर कोनसी भाषा और लिपि का इस्तेमाल किया जाता था, वो अभी कोई नहीं जान पाया है।
इस महानगर एक द्वार पर एक साइनबोर्ड भी मिला है, जिमसे क्या लिखा है वो अभी तक कोई नहीं पड पाया है। धोलावीरा के इस महानगर में एक कुवा भी मैंने देखा था, जिसमे पत्थर रसियो के निशान भी देखे जा सकते है। जैसा की आप ऊपर दी गयी तस्वीर में देख सकते है और इस महानगर ऐसी बहुत सी देखने लायक चीजे है।
धोलावीरा के इस महानगर में जो घर थे, उसमे अभी भी पानी निकाल ने की नालिया देखि जा सकती है और उसका पानी घर के बहार बनायीं गयी बड़ी नालियों में जाता था। इससे आप जान सकते है की आज से 4500 पहले धोलावीरा के लोग कितने समजदार होंगे।
ऊपर जो तस्वीर दी गयी है, वो एक जलाशय की तस्वीर है। इस तस्वीर को मैंने खींचा है। वहां पर जितने जलाशय मैंने देखें थे, उन सभी मे से ये सबसे बड़ा जलाशय था। इस जलाशय में निचे जाने के लिए सीढ़िया भी मौजूद है। जिसे उस समय के लोगोने बनाया था। इसके अलावा इस प्राचीन महानगर धोलावीरा में और भी बहुत सी चीजे मौजूद है। अब चलिए आपको बताता हूँ की अगर आप धोलावीरा जाना चाहते है तो कैसे जा सकते है और मैं कैसे गया था।
धोलावीरा कहाँ है? (Where is the Dholavira?)
धोलावीरा गुजरात के कच्छ जिलें के भचाऊ तालुका के खडीर बेट में आया हुआ गांव है। खडीर बेट चारो ओर से एक बहुत बड़ी खारे पानी की झील से घेरा हुआ है, जिसके चलते इसे एक द्वीप भी कहाँ जाता है। ये झील कच्छ के सफ़ेद रण से भी जुडी हुई है। अगर आप शर्दियो और गर्मी की सीजन में जाते हो तो आपको बिच रस्ते में ही सफ़ेद रण (White Desert) देखने को मिल जायेगा। धोलावीरा में प्राचीन महानगर के अलावा उससे 9 किलोमीटर की दुरी पर एक फोसल पार्क भी है।
जहाँ पर लाखों साल पुराने जिव के अवशेष भी है। जिसे देखने दूर दूर से लोग आते है और वहां पर एक पुराना पेड़ का तना भी है। जो की पूरी तरह से पत्थर में बदल गया है। इसके अलावा फ्लेमिंगो भी आपको वहां पर देखने को मिल जायेंगे। वहां की फीस की बात करे तो धोलावीरा का प्राचीन नगर और म्यूजियम देखने की कोई फीस नहीं ली जाती है। अब चलिए जानते है की वहां जाये कैसे।
धोलावीरा कैसे जाये? (How to go Dholavira?)
सबसे पहले मैं आपको बताता हूँ की मैं धोलावीरा कैसे गया था। तो धोलावीरा जाने के लिए सबसे पहले मैं रापर (Rapar) गया। रापर से धोलावीरा जाने का रास्ता है। मैंने धोलावीरा जाने के लिए Google Map का इस्तेमाल किआ था। सबसे पहले मैंने Google Map में अपनी जगह का नाम डाला और उसके बाद कहाँ जाना है, उसमे धोलावीरा का नाम डाला और मुझे जो रोड Google Map ने दिखाया, उसी रुट से मैं धोलावीरा पहुंच गया।
धोलावीरा मैं अपनी खुद की बाइक लेकर गया था, आप चाहे तो अपने खुद के व्हीक्ल को लेकर जा सकते है। अगर आपके पास व्हीकल नहीं है तो रापर से बहुत से व्हीकल धोलावीरा जाने के लिए मिल जाते है। Google map के मुताबिक रापर से धोलावीरा 92.6 किलोमीटर दूर है। मैं धोलावीरा Google Map के बताये गए रस्ते से गया था और रास्ता बिलकुल सही रास्ता था।
अगर आप काफी दूर से आते है तो आपको धोलावीरा में रुकने के लिए बहुत से होटल भी मिल जायेंगे। जहां पर आप रात के समय में रुक सकते है। मैं तो किसी होटल में नहीं रुका था, इसीलिए उन होटल का रिव्यु मैं नहीं दे सकता, लेकिन मुझे होटल देखने में काफी अच्छे लगे थे और मैं आपको बतादू की स्पेशली वहां पर YouTube के लिए व्लॉग बनाने गया था। मेरा एक Prakash Chauhan Vlog नाम से एक चैंनल है। जिसमे मैंने धोलावीरा के प्राचीन महानगर को दिखाया है।